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लेखनी कहानी -10-Dec-2022 चाय सा इश्क

सुबह की गर्म चाय सा इश्क तेरा 
जिसमें सिमटा है वजूद मेरा 
लाइफलाइन सा मेरी रगों में बहता है 
भरी सर्दी में भी मुझको गर्मी देता है 
अधरों के शहद की मिठास 
नित नई ऊर्जा प्रदान करती है 
आंखों की सरगोशियां 
संजीवनी का सा काम करती हैं 
गेसुओं का मखमली अहसास 
गर्म रजाई की तरह लिपटा हुआ है 
होठों की शबनम में भीगकर 
दिल गुलाब के फूल सा खिल रहा है 
जब तुम नयनों से बरजती हो तो 
अदरक का सा स्वाद आ जाता है 
कभी कभी तेरे उलहानों में 
लौंग का सा जायका नजर आ जाता है 
हाय, तेरा वो जालिम तबस्सुम 
चाय के साथ नमकीन सा स्वाद दे जाता है 
तेरे महके हुए बदन का स्पर्श  
हलवे सी खुशबू से "भूख" बढा जाता है 
चाय के नशे से कहीं बढकर है 
तेरे इश्क का ये खूबसूरत नशा 
जो हरदम मुझे तरोताजा रखता है 
जिसे मैं रोज पीता रहता हूं 
मगर ये फिर भी चाय के प्याले की तरह 
हमेशा भरा भरा ही नजर आता है 
ये कैसा है इश्क तेरा 
शाम की चाय सा । 

श्री हरि 
10.12.22 


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10 Comments

Gunjan Kamal

17-Dec-2022 05:55 PM

शानदार

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Hari Shanker Goyal "Hari"

18-Dec-2022 05:50 AM

धन्यवाद जी

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Rajeev kumar jha

11-Dec-2022 12:21 PM

बहुत ही सुन्दर

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Hari Shanker Goyal "Hari"

12-Dec-2022 07:39 AM

धन्यवाद जी

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Pranali shrivastava

10-Dec-2022 07:44 PM

शानदार

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

11-Dec-2022 01:05 AM

धन्यवाद जी

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